बुलबुल ने गुल से गुल ने बहारों से कह दिया
एक चौदवीं के चाँद ने तारों से कह दिया
दुनिया किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं
एक दिलरुबा है दिल में जो हूरों से कम नहीं
तुम बादशाह-इ-हुस्न हो हुस्न-इ-जहां हो
जान-इ-वफ़ा हो और मोहब्बत की शान हो
जलवे तुम्हारे हुस्न के तारों से कम नहीं
भूले से मुस्कुराओ तो मोती बरस पड़ें
पलकें उठाके देखो तो कलियाँ भी हंस पड़ें
खुशबू तुमारे ज़ुल्फ़ की फूलों से कम नहीं